प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज (शुक्रवार) यूक्रेन की राजधानी कीव में राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की से मुलाकात की। पीएम मोदी ने महात्मा गांधी की प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित किए। प्रधानमंत्री मोदी पोलैंड से ट्रेन के माध्यम से आज राजधानी कीव पहुंचे। स्टेशन पर उनका स्वागत किया गया। इसके बाद प्रधानमंत्री अपने होटल पहुंचे, जहां भारतीय समुदाय के लोग भी मौजूद थे। पीएम मोदी यूक्रेन का दौरा करने वाले पहले प्रधानमंत्री हैं।
प्रधानमंत्री मोदी यूक्रेन के एवी फोमिन बॉटनिकल गार्डन में महात्मा गांधी की कांस्य प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित की। इस प्रतिमा को महात्मा गांधी की 151वीं जयंती पर 2020 में स्थापित किया गया था। पीएम मोदी ने एक अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर एक पोस्ट में यह जानकारी साझा करते हुए कहा कि कीव में महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की। बापू के आदर्श सार्वभौमिक हैं और लाखों लोगों को आशा देते हैं। हम सभी मानवता के लिए उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग का अनुसरण करें।
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी एक दिवसीय यात्रा पर आज कीव पहुंचे हैं। यह एक ऐतिहासिक यात्रा है। दोनों देशों के बीच 30 वर्ष पूर्व राजनयिक संबंधों की स्थापना के बाद यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यूक्रेन यात्रा है। यह यात्रा नेताओं के बीच हाल की उच्च स्तरीय बातचीत पर आधारित होगी।
विदेश मंत्रालय का कहना है कि यूक्रेन संघर्ष पर भारत की स्थिति है कि कूटनीति और बातचीत ही संघर्ष को हल कर सकती है और इसी से स्थायी शांति हो सकती है। भारत का मानना है कि स्थायी शांति केवल दोनों पक्षों को स्वीकार्य विकल्पों के माध्यम से प्राप्त की जा सकती है और इसके लिए बातचीत नितांत आवश्यक है। इसके लिए भारत सभी हितधारकों के साथ जुड़ाव जारी रखे हुए है।
ज्ञात हो, दो देशों की अपनी तीन दिवसीय यात्रा के पहले पड़ाव में प्रधानमंत्री मोदी पोलैंड पहुंचे थे। पोलैंड में उन्होंने प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क से बातचीत के बाद कहा था कि किसी भी समस्या को लड़ाई के मैदान में नहीं सुलाझाया जा सकता। हम इस क्षेत्र में शांति स्थापित करने के लिए हर संभव सहयोग करने के लिए तैयार हैं।
वहीँ दूसरी ओर पीएम मोदी की दो देशों की आधिकारिक यात्रा पर केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि पोलैंड और यूक्रेन में प्रधानमंत्री मोदी का बहुत गर्मजोशी से स्वागत किया गया। प्रधानमंत्री मोदी का आह्वान है कि यह शांति का समय है, यह कूटनीति का समय है, यह संदेश न केवल इस यात्रा में बल्कि सभी के लिए बहुत अच्छी तरह से प्रतिध्वनित होगा। क्योंकि जिस तरह से भू-राजनीतिक स्थिति विकसित हो रही है, उसमें शांति के लिए भारत का समर्थन बहुत महत्वपूर्ण है।